रंग !
मिले दिलों का रंग तो , बन जाये जी जान ,
रंग मन के ना मिले , तो हर रिश्ता बेजान !
रवि ; दिल्ली : २८ जुलाई २०१३
मिले दिलों का रंग तो , बन जाये जी जान ,
रंग मन के ना मिले , तो हर रिश्ता बेजान !
रवि ; दिल्ली : २८ जुलाई २०१३
ना ज़िन्दगी में कुछ भी , बेहिसाब होता है ,
हर ग़लती की सज़ा का , हिसाब होता है !
रवि ; दिल्ली : २६ जुलाई २०१३
तस्वीर तेरे चेहरे की , पल पल उभरती है ,
इक लहर तेरी याद की , हर पल सँवरती है !
कैसे भुलाऊँ तेरे बदन की , मैं वो ख़ुशबू ,
वो संग मेरे आज भी , हर पल बिखरती है !
तेरे हसीन होंठ वो और , आँख वो चेहरा ,
ये ख़्वाब मेरी आँखों में , हर पल तू भरती है !
ना आज तू है हमसफ़र , ना है मेरी हमराज़ ,
फिर भी तेरी परछाँई , मेरे संग ठहरती है !
देखा नहीं है बरसों तुझे , ना तुझे सुना ,
पर आस दिल की ये , मरके ना मरती है !
रवि ; दिल्ली : २४ जुलाई २०१३
तस्वीर तेरे चेहरे की , पल पल उभरती है ,
इक लहर तेरी याद की , हर पल सँवरती है !
रवि ; दिल्ली : २४ जुलाई २०१३
ज़िन्दगी की बात थी , तो ज़िन्दगी में खो गये ,
मैं भी उनका हो गया , और वो भी मेरे हो गये !
कल तलक नज़दीक़ थे , पर फ़ासले थे सोच में ,
आँखों से पर्दा हटा , तो हम भी क़ायल हो गये !
वो वहाँ पर वो न थे , और मैं यहाँ पर मैं न था ,
आज पर जो दिल मिले , तो मैं से हम हम हो गये !
आँखों में उनकी चमक , और शोख़ी है अन्दाज़ में ,
होंठ अब उनके जहाँ में , सबसे मीठे हो गये !
वो वहाँ मगरूर हैं , और मैं यहाँ मदहोश हूँ ,
प्यार की इस दिल्लगी में , दोनों पागल हो गये !!
रवि ; दिल्ली : २२ जुलाई २०१३
ज़िन्दगी की बात थी , तो ज़िन्दगी में खो गये ,
मैं भी उनका हो गया , और वो भी मेरे हो गये !
कल वहाँ मशहूर थे , तो भूले वो इन्सानियत ,
आज जब नीचे गिरे , तो सब किनारे हो गये !
लफ़्ज ही पहचान है , इन्सानों की इस भीड़ में ,
मैं हुआ जब लफ़्ज का , तो लफ़्ज मेरे हो गये !
आदमी कमज़ोर है बस , ढूँढता एक आसरा ,
बात जब दिल पे लगी , तो मन्दिरों के हो गये !
सड़कों पे रहता ख़ुदा , उन ग़रीबों की भूख में ,
उनके दामन भर दिये , तो तुम ख़ुदा के हो गये !!
रवि ; दिल्ली : २१ जुलाई २०१३
जब दुनिया से जाने की , मेरी बात हुई ,
तब चीज़ों की गिनती की , शुरूआत हुई !
क्या जोड़ा है और क्या , तुमने बोया ,
आस की मेरी नाप तौल में , यूँ मात हुई !
रूक जाते कुछ और , और कुछ देके जाते ,
अभी थोड़ी अपनी दुनिया में , औक़ात हुई !
ना जाओ हमें छोड़ , प्यार है हमको तुमसे ,
इन लफ़्जों की ना कानों से , मुलाक़ात हुई !
दिन बीते ज़िन्दगी के , बरस कितने बीते ,
पर आज खुले हैं रिश्ते जब , ये रात हुई !
रवि ; दिल्ली : १९ जुलाई २०१३
जब दुनिया से जाने की मेरी बात हुई ,
तब चीजों के बंटने की शुरूआत हुई !
रवि ; दिल्ली : १९ जुलाई २०१३
समंदर हूँ लहरों में , दूर तलक जाता हूँ ,
दूर आसमां से , साहिल को मिलाता हूँ !
फ़लक भी है इक किनारा , उम्मीद बढ़ाता हूँ ,
नामूमकिन कुछ नहीं है , इसां को बताता हँू !
देखें जो मुझको आशिक़ , आँखो में प्यार लेके ,
मैं इश्क़ की नज़र में , वादे को जगाता हूँ !
पा लोगे जो भी चाहो , ग़र सोच हो सबर हो ,
छाती में सीप की मैं , मोती को खिलाता हूँ !
धरती को जोड़ता मैं , लोगों को मिलाता हूँ ,
साये में चाँदनी के , सूरज को दिखाता हूँ !
रवि ; दिल्ली : १८ जुलाई २०१३
समंदर हूँ लहरों में , दूर तलक जाता हूँ ,
दूर आसमां से , साहिल को मिलाता हूँ !
रवि ; दिल्ली : १७ जुलाई २०१३
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