क़सम … !!
हमने नगमें गुनगुनाने की क़सम खायी है ,
ज़िन्दगी भर मुस्कुराने की क़सम खायी है !
रवि ; दिल्ली : ७ अक्टूबर २०१३
हमने नगमें गुनगुनाने की क़सम खायी है ,
ज़िन्दगी भर मुस्कुराने की क़सम खायी है !
रवि ; दिल्ली : ७ अक्टूबर २०१३
जुगनू आँखों में सजायें , तो ग़ज़ल होती है ,
दिया अश्क़ों से जलायें , तो ग़ज़ल होती है !
रवि ; दिल्ली : ६ अक्टूबर २०१३
जब भी बिजली , घटा पे छाती है ,
चेहरे को तू , ज़ुल्फों से छुपाती है !
रवि ; दिल्ली : ४ अक्टूबर २०१३
तू ज़िन्दगी में मेरी , कुछ इस तरह से आई है ,
ख़्वाब से आस तक , हर पल में तू ही छाई है !
रवि ; दिल्ली : १ अक्टूबर २०१३
कभी डूबा तो कभी उतराता रहा ,
मैं उम्र भर उनको याद आता रहा !
रवि ; दिल्ली : २८ सितम्बर २०१३
कर डाले दिल के टुकड़े हज़ार मेरे ,
तेरे नयन की धार एक कटार हो गयी !
सोचते थे अब तक तनहाई में तुझे ,
तू ख़्वाब में भी आज से शुमार हो गयी !
रवि ; दिल्ली : ३० सितम्बर २०१३
तेरे छूने से , मदहोशी मुझको , आई है ,
बड़े बरसों में , बिजली घटा में , छाई है !
रवि ; दिल्ली : २८ सितम्बर २०१३
मैं चला जब उनके घर से , तो उनके लिये जहान माँगा ,
पलट कर उन्होने मुझसे बस , थोड़ा और सामान माँगा !
रवि : दिल्ली ; २६ सितम्बर २०१३
आँसू की ये बूँदें , अपनी शख़्सियत बदलती हैं ,
ओस तो कभी बरसात की , बूँदों सी ढलती हैं !
रवि ; दिल्ली : २२ सितम्बर २०१३
आँसू जो ये बहते हैं ,
यादों का किनारा है !
आहें जो निकलती हैं ,
ज़ख़्मों का सहारा है !
जो मुड़ के पीछे देखूँ ,
खुद वक़्त बेचारा है !
ना प्यार मिले जिसको ,
क़िस्मत का मारा है !
ग़र साथ हों तक़दीरें ,
हर ख़्वाब सितारा है !
रवि ; दिल्ली : २२ सितम्बर २०१३
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