कोई कहता हमें …. !!
कोई कहता हमें , पागल तो , दीवाना भी कोई ,
किया दुनिया का , यूँ हँसना भी , गँवारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १७ जून २०१४
कोई कहता हमें , पागल तो , दीवाना भी कोई ,
किया दुनिया का , यूँ हँसना भी , गँवारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १७ जून २०१४
जब भी यादों ने , ख़्वाबों से , जगाया हमको ,
ले के होठों पे , हँसी तुमको , पुकारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १५ जून २०१४
बस इक लम्हा , तेरी ख़ुशबू का , गुज़ारा हमने ,
ज़िन्दगी भर उसे , फिर दिल में , संवारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १४ जून २०१४
आज दुनिया ने करी मेरी तरफ़दारी है ,
रात मुश्किल कभी मैंने भी गुज़ारी है !
रवि ; दिल्ली : २७ मई २०१४
ठहरा नहीं है कोई यहाँ , मेरी यादों के सिवा ,
तमन्ना है चलूँ इक बार , वक़्त से आगे कभी !
रवि ; दिल्ली : २३ मई २०१४
धूप से दिल की , सूखा था इक , ओस का फूल ,
रखी किताबों में , सूखी पंखुड़ी , याद ना दिला !
रवि ; दिल्ली : २१ मई २०१४
अब हुआ जाके यक़ीं , आईने को , नीयत पे मेरी ,
अक्स जब उसको , आँखों में , तुम्हारा ना मिला !
रवि ; दिल्ली : २० मई २०१४
चाँदनी रात भर , शोलों सी , जलाती थी बदन ,
भूला हूँ ख़्वाब जो , उस रात , हमारा ना खिला !
रवि ; दिल्ली : १९ मई २०१४
ना शिकायत है कोई , ना ही है कोई अब गिला ,
ये तो क़िस्मत थी हमारी , जिसे चाहा ना मिला !
रवि ; दिल्ली : १८ मई २०१४
जो भी चाहूँ मैं ज़रा , हो रहा है सब यहाँ ,
ख़्वाब सारे यूँ ही सच , बनाये मेरी ज़िन्दगी !
रवि ; दिल्ली : १७ अप्रैल २०१४
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