उम्मीद ?
वो ख़्वाबों के सारे महल ढह गए ,
हसरतें ही बचीं ज़िन्दगी के लिए ,
अब जीने की कोई उमंगें नहीं ,
ज़िन्दगी भी नहीं ज़िन्दगी के लिए !
रवि ; लखनऊ : मार्च १९८०
वो ख़्वाबों के सारे महल ढह गए ,
हसरतें ही बचीं ज़िन्दगी के लिए ,
अब जीने की कोई उमंगें नहीं ,
ज़िन्दगी भी नहीं ज़िन्दगी के लिए !
रवि ; लखनऊ : मार्च १९८०
दिल ही दिल में किसी पे मैं मरता रहा ,
बस तन्हाइयों में ही आहें मैं भरता रहा ,
इज़हारे इश्क ना कर सका उससे कभी ,
वो इंतज़ार ही तो था जो मैं करता रहा !
रवि ; रुड़की : जनवरी 1981
हर पल एक प्यार की चाह में ,
इस दिल को बेक़रार मैंने देखा है !
एक एक पल उम्र से भी बड़ा था ,
एक ऐसा भी इंतज़ार मैंने देखा है !
जब भी सोचा है आपके बारे में ,
लगता है हसीं ख़्वाब मैंने देखा है !
में आपके और आप मेरे करीब थे ,
ये एक ख़्वाब बार बार मैंने देखा है !
और उन ख़्वाबों से उठकर देखने पे ,
दूर तक आपको ही जनाब मैंने देखा है !
शबनम को फूलों के आस पास देख ,
यूँ लगा आपको उदास मैंने देखा है !
नज़र मिलते ही आपसे कुछ यूँ लगा ,
आप नहीं एक आफताब मैंने देखा है !
आप नहीं तो फूलों से दुश्मनी सी थी ,
पर अब काँटों को खुशबूदार मैंने देखा है !
हर कली को संवारने वाले गुलज़ार का ,
वो एक लाजबाब शाहकार मैंने देखा है !
आपकी आँखों के इस गहरे समंदर में ,
आपने लिए प्यार ही प्यार मैंने देखा है !!
रवि ; रुड़की : १० मई १९८१
तुम नहीं तो लगते हैं फूल भी दुश्मन मुझे ,
पर तुम्हारे आते ही काँटों में भी खुशबू होगी !
रवि ; जयपुर : अक्टूबर ७८
ना जाने वो कैसी नज़र देखते हैं ,
हम तो बस उनकी नज़र देखते हैं ,
नज़र की नज़र से हजारों ये बातें ,
नज़र का नज़र पे असर देखते हैं !
ना जाने …..
नज़र का ये उनका मिलाना तो देखो ,
मिला के नज़र का झुकाना तो देखो ,
नज़र को नज़र से चुराते हुए भी ,
शराफ़त की वो एक नज़र देखते हैं !
ना जाने ….
रवि ; रुड़की : मई १९८१
आज आँख मेरी खुल पायी है ,
या तूने दुनिया नयी दिखाई है ,
शुक्र है तेरा ओ मेरे खुदा ,
जो तूने दुनिया मेरी सजाई है !
कहते हैं दुनिया बड़ी हरजाई है ,
चारों तरफ़ फैली बहुत बुराई है ,
पर तूने बख्शी है मुझे नेमत ,
जो दिखे हमेशा मुझे अच्छाई है !!
रवि ; अहमदाबाद : ३० जून 2012
Aaj aankh meri khul paayi hai ,
Ya tune duniya nayi dikhai hai ,
Shukr hai tera o mere khuda ,
Jo tune duniya meri sajaai hai !
Kahte hain duniya badi harjaai hai ,
Charon taraf faili bahut buraai hai ,
Par tune bakhshi hai mujhe nemat ,
Jo dikhe hamesha mujhe achchhaai hai !!
Ravi ; Ahmedabad : 30 June 2012
क्या मैं वो नहीं , जो सोचता हूँ मैं ,
फिर क्यूँ मुझे ख़ुद पर , इतना भरोसा है !!
रवि ; अहमदाबाद : २५ जून २०१२
Kya main wo nahi, jo sochata hun main ,
Phir kyun mujhe khud par, itna bharosa hai !!
Ravi ; Ahmedabad : 25 June 2012
है बरसों से पड़ी सूनी , मेरी ये कलाई ,
याद करते ही ये ,आँख मेरी भर आई !
उसकी आँखों में थी , सदा मेरे लिए दुआएं ,
हर कदम ज़िन्दगी पे , मुझे उसकी याद आई !
था खून एक ही , हम दोनों की रग़ों में ,
पर उसके खून पे , हमेशा ही रंगत आई !
बीत चुके हैं बरसों , और बीते अगिनत पल ,
पर लगता है आएगी , फिर भूलकर वो जुदाई !
मेरा वजूद मेहरबान है , उसकी इबादत का ,
रोम रोम देता मेरा , सदा ही उसकी शुक्राई !
वो मेरी बहन दोस्त थी ,और मैं उसका भाई ,
फिर क्यूँ नहीं कर सके , रिश्ते की हम निभाई !
जीवन की विषमता ने , ना कसर थी उठाई ,
अभेद उन्हें जानकर , थी उसने ली बिदाई !
तोड़ी थी उसने , वक़्त की हर धार उस सुबह ,
और उसके बाद कभी , वो लौटकर नहीं आई !
बरसों की राखियों ने है , याद मुझे ये दिलाई ,
थी लाखों में मेरी बहन ,और मैं उसका भाई !
कलाई मेरी सूनी है , और सूनी ही रहेगी ,
पर दुआएं साथ हैं , और साथ उसकी भलाई !!
रवि ; अहमदाबाद : १६ जून २०१२
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Hai barason se padi sooni , meri ye kalaai ,
Yaad karte hi ye , aankh meri bhar aai !
Uski aankon mein thi , sada mere liye duaayen ,
Har kadam zindagi pe , mujhe uski yaad aayi !
Tha khoon ek hi , hum dono ki ragon mein ,
Par uske khoon pe , hamesha hi rangat aai !
Beeten chuke hain barason , aur beete aginat pal ,
Par lagta hai aayegi , phir bhoolkar wo judaai !
Mera wajood meharbaan hai , usaki ibadat ka ,
Rom rom deta mera , sada hee uski shukraai !
Wo meri bahan dost thi , aur main uska bhai ,
Phir kyun nahin kar sake , rishte ki hum nibhai !
Jeevan ki vishamta ne , na kasar thi uthaai ,
Abhed Unhe jaankar hi , thi usne lee bidaai !
Todi thi usne waqt ki , har dhaar us subah ,
Aur uske baad kabhi , wo lautkar nahin aayi !
Barason ki Raakhiyon ne , hai yaad ye dilaai ,
Thi lakhon mein meri bahan, aur main uska bhai !
Kalaai meri sooni hai , aur sooni hi rahegi ,
Par duaayen saath hain , aur saath uski bhalaai !
Ravi ; Ahmedabad : 16 june 2012..
मैं चलता हूँ दूर , जितना कभी भी
तुम भी , उतनी ही दूर चल जाते हो
फ़र्क सिर्फ़ इतना है , हम दोनों में
मैं पास आता हूँ , तुम दूर जाते हो !
चला है ये सिलसिला , बरसों से हमारा
फिर क्यूँ , इसे तुम नयी बात बतलाते हो
ग़र मिलना ना हो , होके हमरस्ता भी
फिर क्यों साथ का , ऐसा फ़र्ज़ निभाते हो !!
रवि ; अहमदाबाद ; १९ मई २०१२
Main chalata hoon door , jitna kabhi bhi
Tum bhi , utani hi door chal jaate ho
Fark sirf itna hai , hum dono mein
Main paas aata hun , tum door jaate ho !
Chala hai Ye silsila , barason se hamara
Phir Kyun , ise tum nayi baat batalate ho
Gar Milna na ho , hoke humrasta bhi
Phir Kyon saath ka , aisa farz nibhate ho !!
Ravi ; Ahmedabad : 19 May 2012
ग़र की है ख़ता तुमने कहीं भी कभी ,
ना करने की उसे फिर इल्तज़ा की है !
घाव कितना भी गहरा हुआ हो मगर ,
दिल ने फिर भी तेरे लिए दुआ की है !
रस्ते गए हों बदल ज़िन्दगी में तो क्या ,
ना हमने किस्मत तुमसे जुदा की है !
तुमने दी है सज़ा जुदा हो के तो क्या ,
ना हमने कोई मुक़र्रर सज़ा की है !
दिल झुकता है अब भी मिले थे जहाँ ,
तुझसे तनहाइयों में भी वफ़ा की है !
मरते दम तक बसायेंगी ये सूरत तेरी ,
मेरी आँखों ने मुझसे ये रज़ा की है !
रवि ; अहमदाबाद : १९ मार्च २०१२
Gar Ki hai khata tumne kahin bhi kabhi ,
Na use phir karne ki iltaza ki hai !
Ghav kitna bhi gahra hua ho magar ,
Phir bhi Dil ne tere liye dua ki hai !
Raste gaye hon badal zindagi mein to kya ,
Na kismat tumse kabhi juda ki hai !
Tumne di hai saza juda ho ke to kya ,
Na hamne koi mukarar saza ki hai !
Dil jhukta hai ab bhi Mile the jahan ,
Tujhse tanhaaiyon mein bhi wafa ki hai !
Marte dam tak basaayengi ye surat teri ,
Meri ankon ne mujhase ye raza ki hai !
Ravi ; Ahmedabad : 19 March 2012
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