… क़रार !
ये उम्र लम्हों में सिमट जाये तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी सँवर जाये तो क़रार आये !
रवि ; दिल्ली : २४ जून २०१४
ये उम्र लम्हों में सिमट जाये तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी सँवर जाये तो क़रार आये !
रवि ; दिल्ली : २४ जून २०१४
बस इक लम्हा , तेरी ख़ुशबू का , गुज़ारा हमने ,
ज़िन्दगी भर उसे , फिर दिल में , संवारा हमने !
जब भी यादों ने , ख़्वाबों से , जगाया है हमें ,
ले के होंठों पे , हँसी तुमको , पुकारा हमने !
कोई कहता हमें , पागल तो , दीवाना भी कोई ,
किया दुनिया का , यूँ हँसना भी , गंवारा हमने !
वक़्त चलता गया , पानी के , नज़ारों की तरह ,
चाहे कितना किया , कश्ती से , किनारा हमने !
याद है शाम वो , ठहरी तेरी , पहली वो नज़र ,
तब से खोया है , हर इक साँस , हमारा हमने !
रवि ; दिल्ली : २१ जून २०१४
कोई कहता हमें , पागल तो , दीवाना भी कोई ,
किया दुनिया का , यूँ हँसना भी , गँवारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १७ जून २०१४
जब भी यादों ने , ख़्वाबों से , जगाया हमको ,
ले के होठों पे , हँसी तुमको , पुकारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १५ जून २०१४
बस इक लम्हा , तेरी ख़ुशबू का , गुज़ारा हमने ,
ज़िन्दगी भर उसे , फिर दिल में , संवारा हमने !
रवि ; दिल्ली : १४ जून २०१४
आज दुनिया ने करी मेरी तरफ़दारी है ,
रात मुश्किल कभी मैंने भी गुज़ारी है !
रवि ; दिल्ली : २७ मई २०१४
ठहरा नहीं है कोई यहाँ , मेरी यादों के सिवा ,
तमन्ना है चलूँ इक बार , वक़्त से आगे कभी !
रवि ; दिल्ली : २३ मई २०१४
ना शिकायत है कोई , ना ही है , कोई अब गिला ,
ये तो क़िस्मत थी , हमारी जिसे , चाहा ना मिला !
चाँदनी रात भर , शोलों सी , जलाती थी बदन ,
भूला हूँ ख़्वाब जो , उस रात , हमारा ना खिला !
धूप से दिल की , सूखा था इक , ओस का फूल ,
याद पंखुड़ियाँ , किताबों में , मुझको ना दिला !
अब हुआ जाके यक़ीं , आईने को , नीयत पे मेरी ,
अक्स जब उसको , आँखों में , तुम्हारा ना मिला !
साँसों से तेरी , पिघल जाते थे , लब मेरे अक्सर ,
वो वक़्त याद आये , साक़ी मुझे , इतना ना पिला !
रवि ; दिल्ली : २२ मई २०१४
धूप से दिल की , सूखा था इक , ओस का फूल ,
रखी किताबों में , सूखी पंखुड़ी , याद ना दिला !
रवि ; दिल्ली : २१ मई २०१४
अब हुआ जाके यक़ीं , आईने को , नीयत पे मेरी ,
अक्स जब उसको , आँखों में , तुम्हारा ना मिला !
रवि ; दिल्ली : २० मई २०१४
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