चाह के …… !!
इश्क़ की नाकामियों पर , दिल मेरा क्यूँ रोता है ,
चाह के चंदा को सूरज , बिन मिले ही तो सोता है !
रवि ; दिल्ली : १ अगस्त २०१४
इश्क़ की नाकामियों पर , दिल मेरा क्यूँ रोता है ,
चाह के चंदा को सूरज , बिन मिले ही तो सोता है !
रवि ; दिल्ली : १ अगस्त २०१४
ज़िन्दगी का वाे फ़साना ना रहा ,
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा !
भीगें बरसातों में सोचा बरसों से ,
आज पर मौसम सुहाना ना रहा !
बेरूखियों से लफ़्ज भी गूँगे हुए ,
और वो दिलकश तराना ना रहा !
परछाँईयाँ पलकों में धुँधली हुई ,
कनखियों का मुस्कुराना ना रहा !
क्यूँ सुनाऊँ तुमको मैं शिकवे गिले ,
प्यार जब अपना पुराना ना रहा !
रवि ; दिल्ली : ७ जुलाई २०१४
परछाँईयाँ पलकों में धुँधली हुई ,
कनखियों का मुस्कुराना ना रहा !
रवि ; दिल्ली : ६ जून २०१४
बेरूखियों से लफ़्ज भी गूँगे हुए ,
और वो दिलकश तराना ना रहा !
रवि ; दिल्ली : ५ जुलाई २०१४
सोचा बरसों भीगें इन बारिशों में ,
आज पर मौसम सुहाना ना रहा !
रवि ; दिल्ली : ४ जुलाई २०१४
ज़िन्दगी को वो फ़साना ना रहा ,
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा !
रवि ; दिल्ली : ३ जुलाई २०१४
ये उम्र लम्हों में , सिमट जाये , तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी , सँवर जाये , तो क़रार आये !
रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये !
दिल धड़कता है , तेरी याद में , हर लम्हा मेरा ,
उम्र भर यूँ ही , गुज़र जाये , तो क़रार आये !
मय का मंज़र हो , और जाम हो , लबों पे मेरे ,
और जी पीने से , मुकर जाये , तो क़रार आये !
आसमां छू के , यहाँ बरसी , ये घटायें अकसर ,
कभी आसमां भी , बरस जाये , तो क़रार आये !
रवि ; दिल्ली : २८ जून २०१४
मय का मंज़र हो , और जाम हो , लबों पे मेरे ,
और जी पीने से , मुकर जाये , तो क़रार आये !
रवि ; दिल्ली : २७ जून २०१४
दिल धड़कता है , तेरी याद में , हर लम्हा मेरा ,
उम्र भर यूँ ही , गुज़र जाये , तो क़रार आये !
रवि ; दिल्ली : २६ जून २०१४
रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये !
रवि शर्मा ; दिल्ली : २५ जून २०१४
Recent Comments