10460754_10203184317963105_1290297863487273759_n

रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये !

रवि शर्मा ; दिल्ली : २५ जून २०१४