मैं हमेशा … !!
कभी मशरूफ़ रहा तो कभी मजबूर रहा ,
वक़्त ऐसा भी था जब बहुत मशहूर रहा ,
याद सब कुछ है नहीं पर ये मैं भूला नहीं ,
कि नशे में ज़िन्दगी के मैं हमेशा चूर रहा !
कभी मशरूफ़ रहा तो कभी मजबूर रहा ,
वक़्त ऐसा भी था जब बहुत मशहूर रहा ,
याद सब कुछ है नहीं पर ये मैं भूला नहीं ,
कि नशे में ज़िन्दगी के मैं हमेशा चूर रहा !
गज़लों ने मेरी अपनों से सबको मिला दिया ,
बस मैं ही ख़ामोश भीड़ में अकेला खड़ा रहा !
हसरतों से भरी आँखे सबकी
ख़्वाहिशों से भरे प्याले हैं
तनहाईयां से लिपटी रूहें
पर नाचते मतवाले हैं
सँवरने के ढंग हैं कितने
पर दिल बहुतों के काले हैं
बेनियत अपनी भरने को
छीने ग़रीबों के निवाले हैं
चैन ना मिलता कहीं भी
दौड़ते पैरों में पड़े छाले हैं
ज़रूरतों को अपनी अपनी
सभी सरों पर संभाले हैं
कहने को बहुत यारी है
और वादों के रिसाले हैं
पर पीठ पीछे दोस्तों के
बस छुरी को निकाले हैं
क्या हो गया है जमाने को
क्यूँ ख़ाली प्यार के हाले हैं
सामान से घर भरते हैं सब
पर रिश्तों को तरसते घरवाले हैं !
उम्र भर ढूँढता रहा मै चैन और सुकून ,
और वक्त पहलू से यूँ ही बिछड़ गया !
जीता हूं ख़ुद से मैं , तो अब ख़ुद को पाया है ,
रंग पक्के इरादों का , मेरी आँखों में छाया है ,
जाना है मैने कि , परछाइयाँ सच्ची नहीं होतीं ,
दूर की रोशनी में होता , ख़ुद से बड़ा साया है !
क्या फ़क़त ये जुनून है मेरा ,
या खोया तूने भी दिल है तेरा ,
यूं ही नहीं कोई सपनों में आता ,
है कोई रिश्ता जरूर तेरा मेरा !
ज़िन्दगी भर ख़ुद से जीतने का ख़ुद से वादा था ,
पर ख़ुद को महसूस किया ख़ुद से हारने के बाद !
हमसफ़र था दिल मेरा , क्यूँ अजनबी हुआ है,
जब से नज़रों ने तेरी , दिल को मेरे छुआ है !
पास वो रहते नहीं और दूर भी जाते नहीं ,
भूलते हमको नहीं और याद भी आते नहीं ,
कैसे बतायें रिश्ता ये दिल का किसी को ,
जान वो लेते नहीं और जान से जाते नहीं !
दूसरों की मदद करो , सुना था दस्तूर पुराना ,
लगता है खो गया मगर , भलाई का वो ज़माना !
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