ख़ामोशियों से कैसे मैं शिकायत करूँ ,
तनहाईयों से कैसे मैं हिफ़ाज़त करूँ ,
ये ज़िन्दगी का दौर ही बतलायेगा मुझे ,
ख़ुद की कैसे मैं ख़ुद पे इनायत करूँ !