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कहीं ख़ामोशी और कहीं आवाज़

दोनों ही हैं  एक  प्यार के अंदाज़ !

बड़ी दूर तक जाती है

ख़ामोशी की ये आवाज़ –

ये पहाड़ , ये घाटियाँ , ये आसमान

ये फ्होल और फूलों की महक

सभी तो चुप हैं , सभी ख़ामोश !

ख़ामोशी का ये अंदाज़ ही

एक प्यार का इक़रार है !

ये बादल , ये पंछी , ये झरने

ये भंवरे और उनकी गुनगुनाहट

सभी खुश हैं , सभी मस्त !

आवाज़ का ये अंदाज़ ही

एक प्यार का इज़हार है !

प्यार के ये दो अंदाज़ –

चाहे ख़ामोशी का इक़रार

या आवाज़ का इज़हार

मतलब तो केवल प्यार है –

प्यार , प्यार और प्यार !!

रवि ; रुड़की : जून १९८१