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तेरे पहलू में , ज़माने की ख़ुशी , मिलती है ,
वक़्त बीता है मगर , प्यास ये ना , ढलती है !

मैं जो जलता हूँ , अमावस के , चराग़ों की तरह ,
बन के तू बाती , मेरे साथ साथ , जलती है !

तेरी आँखों में , रहता हूँ मैं , हर पल ज़िन्दा ,
तू भी आँखों में , मेरी रोज़ ही , पिघलती है !

मैं तेरी जान हूँ , और तू , दिल है मेरा ,
मेरी हर साँस , तेरी साँस से , निकलती है !

मैं नसों में तेरी , मेरी रग़ में तू , लहू सी बहे ,
धड़कन दोनों की , एक दूसरे से , चलती है !

रवि ; दिल्ली : १५ दिसम्बर २०१३