आज … !!
बासी लम्हों को ना ख़ुद को सताने दो ,
टूटे ख़्वाबों को ना नींद को उड़ाने दो ,
हक़ीक़त तुम्हारी आज बस और आज है ,
धड़कनों को आज खुल के मुस्कुराने दो !
रवि ; २१ अक्टूबर २०१३
बासी लम्हों को ना ख़ुद को सताने दो ,
टूटे ख़्वाबों को ना नींद को उड़ाने दो ,
हक़ीक़त तुम्हारी आज बस और आज है ,
धड़कनों को आज खुल के मुस्कुराने दो !
रवि ; २१ अक्टूबर २०१३
बस देखना है ये हमें , सैलाब कहाँ तक है ,
इस दिल की बस्ती का , बूता कहाँ तक है ,
पढ़ के दुआ तेरे लिये , अब जानना है हमें ,
ये ज़हर का सिलसिला , फैला कहाँ तक है !
रवि ; दिल्ली : २० अक्टूबर २०१३
मैं कौन हूँ कहाँ से हूँ ,
ये बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
जो गुज़र गये वो बिखर गये ,
वो जज़्बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
तुझसे चाही बस तेरी नज़दीक़ियाँ ,
वो फ़रियाद मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
जब भीगी थी आँसुओं से आँखें ये ,
वो बरसात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
तोहफ़ा तेरा था बस तेरी रूसवाई ,
वो सौग़ात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
अब ना तू है ना तेरी तनहाई ,
तेरी बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
रवि ; दिल्ली : १९ अक्टूबर २०१३
तुझे पाने की ख़्वाहिश में , ख़ुद से ख़ुद को खोता हूँ ,
खुली आँखों में उगते जो , मैं वो सारे ख़्वाब बोता हूँ !
मैं तुझसे दूर हूँ लेकिन , तेरी आहों में रहता हूँ ,
तेरी यादों के साये में , कभी मैं ख़ूब रोता हूँ !
चाहत के फ़साने में , क्या ज़्यादा क्या कम है ,
तू सपनों में बुलाती है , मैं आँखों में ही होता हूँ !
कभी ग़र याद धुँधली हो , पलों को ढूँढना मुश्किल ,
तब यादों के वो पैमाने , मैं ख़ुद अश्क़ों से धोता हूँ !
कभी तेरा तसव्वुर हो , और तू भी उसमें डूबी हो ,
ले तब होठों पर मुस्कान , मैं मीठी नींद सोता हूँ !
रवि ; दिल्ली : १८ अक्टूबर २०१३
मेरे लबों की प्यास है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी ,
एक रेशमी अहसास है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
जब ये चले मेरी आस है , जब मैं चलूँ ये पास है ,
हरदम ही आस पास है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
ज़ख़्मों की याद में अगर , दुखता मेरा ज़मीर ग़र ,
बहलाती मुझको है मगर , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
कितना मैं ख़ुशनसीब हूँ , कि माँ बाप के क़रीब हूँ ,
बचपन का मैं नसीब हूँ , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
हर सुबह सुनहरी बात है , मेरी रौशन चाँदनी रात है ,
हर पल उसकी सौग़ात है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
ये आसमां मेरे साथ है , दुआओं का सर पे हाथ है ,
रग़ों में प्यार दिन रात है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
रवि ; दिल्ली : १४ अक्टूबर २०१३
हसीनों को आईने पर , कहाँ होता है ऐतबार ,
कहते हैं चुराता है हुस्न , उसे दिखाने से पहले !
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दिल के आईने में ख़याल की बातें ना बता ,
वो तो पागल है हसीनों पे फिसल जाता है !
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कहते हैं ये आइना मेरे दो अक्स बनाता है ,
इक देता मुझे एक मेरे प्यार को दे आता है !
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आईने ने सामने से सलाम उन्हें भेजा है ,
उन्हीं की आँखों का कलाम उन्हे भेजा है !
*****
अपनी आँखों का सच भी ना कभी दिखा होता ,
ग़र ना अक्स उनका हमें आइने में दिखा होता !
*****
तोड़ देते आईना तो शिकायत न थी ,
वो आपके इंतज़ार में यूँ ही पिघल गया !
*****
रवि ; दिल्ली : ११ अक्टूबर २०१३
मेरे लबों की प्यास है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी ,
एक रेशमी अहसास है , मेरे साथ है मेरी ज़िन्दगी !
रवि ; दिल्ली : १३ अक्टूबर २०१२
इश्क़ से गुज़रा हूँ मैं , इश्क़ को मैं जानता हूँ ,
रग़ों में बहता है ये , रग़ इसकी मैं पहचानता हूँ !
फूलों की दिखती सेज ये , कहते हैं ये सब यहाँ ,
पर ये काँटों पे बिछी , मैं ये हक़ीक़त मानता हूँ !
प्यार की रंगीनियाँ , दिल पे छा जाती हैं जब ,
दिखता सब रंगीन तब , सच मैं इसको मानता हूँ !
जुगनू आँखों में कभी , कभी अश्क़ की भरमार है ,
पल में बदले रुख़ यहाँ , पल का मौसम मानता हूँ !
ये इश्क़ है ऐसी बला , इसे चाहता हर दिल यहाँ ,
हो जुदाई या मिलन , मैं इसको क़िस्मत मानता हूँ !
रवि ; दिल्ली : १२ अक्टूबर २०१३
क्यूँ इश्क़ को यूँ ही छुपा के रखा है ,
क्यूँ पलकों के पीछे सजा के रखा है !
दे दे मुझको अब तो तू मेरी ज़िन्दगी ,
क्यूँ नज़रों को क़ातिल बना के रखा है !
अब ख़ुशबू तेरी आती है मेरी साँसों से ,
क्यूँ ये हुस्न का जादू चढ़ा के रखा है !
मैं अब सोचता हूँ आ बसूँ दिल में तेरे ,
क्यूँ पहरा साँसों का लगा के रखा है !
कभी ख़्वाब में तेरे तुझे ना मैं चूम लूँ ,
क्यूँ सपनों को अपने जगा के रखा है !
तेरा आइना भी पूछता है तुझसे अब ,
क्यूँ आरज़ू को तूने दबा के रखा है !
रवि ; दिल्ली : ११ अक्टूबर २०१३
क्यूँ इश्क़ को यूँ ही छुपा के रखा है ,
क्यूँ पलकों के पीछे सजा के रखा है !
रवि ; दिल्ली : १० अक्टूबर २०१३
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