फ़ासला … !!
एक सच का फ़ासला है , तेरे मेरे दरमियाँ ,
झूठ का बिखरा सिला है , तेरे मेरे दरमियाँ !
रवि ; दिल्ली : ५ दिसम्बर २०१३
एक सच का फ़ासला है , तेरे मेरे दरमियाँ ,
झूठ का बिखरा सिला है , तेरे मेरे दरमियाँ !
रवि ; दिल्ली : ५ दिसम्बर २०१३
ज़िन्दगी जीने का बस , ऐसा तरीक़ा चाहिये ,
हमें दूसरों से प्यार हो , ऐसा सलीक़ा चाहिये !
रवि ; दिल्ली : ४ दिसम्बर २०१३
क्षण
भंगुर
संसार !
जीव
विषय
संचार !
तन
स्थूल
प्रकार !
रूप
क्षणिक
आकार !
स्नेह
भाव
विस्तार !
क्रोध
आवेश
संघार !
श्रध्दा
प्रकट
आचार !
चतुर
मस्तिष्क
विचार !
द्वेष
संबंध
प्रहार !
मूल्य
जीवन
व्यापार !
भक्ति
आस्था
आधार !
विनय
बुध्दि
अनुसार !
प्रेम
हृदय
आभार !
आत्मा
अमर
अपार !!
रवि ; दिल्ली : ३० नवम्बर २०१३
मेरी ख़्वाहिशों की बात , बस इक आस होती है ,
मगर वो मुस्कुरायें तो , बात इक ख़ास होती है !
रवि ; दिल्ली : २५ नवम्बर २०१३
तेरे आने का इन्तज़ार किया ,
तुझसे भी ज़्यादा तुझे प्यार किया !
तेरे चेहरे की गुलाबी वो हँसी ,
तेरे होठों पे दिल निसार किया !
ना किया शामिल ख़्वाबों में कोई ,
बस तेरी ख़ुशबू को शुमार किया !
ना मैं भूला ना धड़कन भूली ,
याद हर साँस ने हर बार किया !
प्यार मर के भी करूँगा तुझसे ,
ज़िन्दगी भर तो बेशुमार किया !
रवि ; दिल्ली : २१ नवम्बर २०१३
तेरे आने का इन्तज़ार किया ,
तुझसे ज़्यादा है तुझे प्यार किया !
रवि ; लंदन : २० नवम्बर २०१३
उनसे कह दो कि वो , सपनों में , आया ना करें ,
जो कभी आयें तो , सुबह तलक , जाया ना करें !
जो कभी उनके , तसव्वुर में मैं , डूबा हूँ अगर ,
तो कभी भूल से , मुझको वो , जगाया ना करें !
मेरी आँखों में जब , दिख जाती है , सूरत उनकी ,
तो वो आईने को , ख़ुद को यूँ , दिखाया ना करें !
ख़ुशबू का उनकी , अहसास हो , होठों से कभी,
तो वो होठों से मेरे , होठों को , हटाया ना करें !
जब सिमट जाते हैं , मेरी बाहों में , मेरे वो हुज़ूर ,
तो वो चेहरे को , यूँ ज़ुल्फ़ों से , छुपाया ना करें !
रवि ; न्यूयार्क : १८ नवम्बर २०१३
उनसे कह दो यूँ , सपनों में वो , आया ना करें ,
जो कभी आयें तो , सुबह तलक , जाया ना करें !
रवि ; न्यूयार्क : १७ नवम्बर २०१३
मेरी तनहाई , दिल से जुदा , हो गयी है ,
ये नज़र , चाँदनी पे फ़िदा , हो गयी है !
उठी थी नज़र , जब तलक , थी शोख़ी भरी ,
अब झुकी वो नज़र , तो ख़ुदा , हो गयी है !
आँखों में आजकल , जुगनू हैं , जगमगाते मेरी ,
ये ज़िन्दगी , रोशनी की सदा , हो गयी है !
जीना मरना है , तेरी साँसों में , अब तो मुझे ,
इश्क़ की इन्तेहाॅ , मेरी अदा , हो गयी है !
उनकी नज़रों पे , मैंने ख़ुद को , नज़र है किया ,
इक नज़र प्यास , इक मैक़दा , हो गयी है !
रवि ; न्यूयार्क : १६ नवम्बर २०१३
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