संगीत ! ……….. Sangeet !
क्षमा
संतोष
समर्पण
प्रीत !
जीवन
हर्ष
मधुर
संगीत !!
रवि , २४ सितम्बर २००९ , गुडगाँव
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Kshama
Santosh
Samarpan
Preet !
Jeevan
Harsh
Madhur
Sangeet !!
क्षमा
संतोष
समर्पण
प्रीत !
जीवन
हर्ष
मधुर
संगीत !!
रवि , २४ सितम्बर २००९ , गुडगाँव
*************************************
Kshama
Santosh
Samarpan
Preet !
Jeevan
Harsh
Madhur
Sangeet !!
मैं जीवन विष को बोता हूँ ,
फैलाकर विष सब बातों में ,
पहनाकर विष उन आँखों में ,
मैं विष – शैय्या पर सोता हूँ !
मैं जीवन विष ……
करता आजन्म विष सज्जा मैं ,
करता विष वितरण निर्लज्जा मैं ,
पहन प्रतिदिन विष पुष्प हार ,
मैं विष – बीज नये कुछ बोता हूँ !
मैं जीवन विष ….
द्विज अमंगल भाता बस मुझको ,
मैं विष प्रेरित करता बस सबको ,
फिर सद्भावना को देख हारता ,
मैं विष – आकाश पर होता हूँ !
मैं जीवन विष ….
कभी जो हो असफल विष मेरा ,
और हो सद्कर्म का भाव घनेरा ,
विष को तब यूँ नतमस्तक पाकर ,
मैं विष – अश्रु बहा कर रोता हूँ !
मैं जीवन विष ….
इर्ष्या द्वेष निंदा घने विष मेरे ,
हैं लोभ असत्य भी प्रिय बहुतेरे ,
और देख विराट अनुयायी श्रध्दा ,
मैं विष – चिरस्वप्न में खोता हूँ !
मैं जीवन विष …..
फिर कौन हूँ मैं या सब हूँ मैं ,
सबके विष से समहित हूँ मैं ,
देख सदा प्रकोप मैं विष का ,
मैं विष – विश्वस्वप्न संजोता हूँ !
मैं जीवन विष ……
वो विष पीते मेरा तो मैं हँसता हूँ ,
पीता हूँ मैं विष उनका तो रोता हूँ ,
विष क्रम चलता अब यही निरंतर ,
मैं जीवन – विष में हँसता रोता हूँ !
मैं जीवन विष …….
रवि , २३ सितम्बर २००९ , गुडगाँव
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Main jeevan vish ko bota hun
Failakar vish sab baaton mein
pahanakar vish un ankhon mein
Main vish shaiyya par sota hoon !
Main jeevan vish …
Karata ajanm vish sazza main
Karata vish vitaran nirlajja main
Pahan Pratidin vish pushp haar
Main vish beej naye phir bota hun !
Main jeevan vish ….
Dwij amangal bhata hai mujhko
Prerit karta hoon main sabko
Aur sadhabhwana ki dekh haarta
Main vish aakash par hota hoon !
Main jeevan vish …
Kabhi jo asafal vish mera
Ho sadkarmon ka bhav ghanera
Vish to tab natmastak pakar
Main vish ashru baha kar rota hoon!
Main jeevan vish …
Irshya dwesh ninda vish mere
Lobh asatya ghane priya mere
Dekh viraat anuyayai shradhdha
Main vish swapn mein khota hun !
Main jeevan vish …
Kaun hoon mai ya sab hoon main
Sabke vish se samhit hoon main
Dekh sada prakop ab vish ka
Main Vish vishwa kaamna sanjota hun !
Main jeevan vish ….
Vish peete wo mera to main hansata hun
Peeta hoon vish unka to main rota hun
Vish kram chalata ab yahi nirantar
Main jeevan bhar hansata rota hun !
Main jeevan vish …..
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
जल जीवन की नैय्या में
गोदी की अपनी मैय्या में
सुख दुःख की इस शैय्या में
हमको हिचकोले देते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
सूर्य देवता जैसे कर लेते
पता न जल को लगने देते
वैसे ही प्रभु इस जीवन में
हमसे भी कुछ हर लेते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
वाष्प उड़ाकर जलाशयों से
जलनिधि से कुछ बूंदे लेकर
सूर्यदेव फिर घन माध्यम से
वर्षा सब पर कर देते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
देते हैं कर उनको सब हम
जान न पाते उनकी सरगम
कब पाते और कब खोते हैं
जीवन भर हंसते रोते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
कर देना तो है आवश्यक
होना है सबको नतमस्तक
अगले जीवन या दें प्रतिपल
ऋण न प्रभु रखने देते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
कभी देते वो हर्ष पुष्प
कभी यौवन का दंभ पुष्प
कभी जीवन के उपवन में
शूल वेदना भर देते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
कभी जिसे उपहार जानते
तो कभी जिसे उपहास मानते
जीवन के अगले ही क्षण में
हम उनको उल्टा कहते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
कभी अश्रु हैं हर्ष विधा के
कभी शूल हैं दुःख दुविधा के
क्या हर्ष और क्या है दुविधा
हम शंषित इसमें रहते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं !
नहीं निवेदन कुछ भी उनसे
जीवन के इस आकर्षण से
सफल प्रतीत प्रतिपल होता जो
प्रभु आश्रय लेने देते हैं !
कहते हैं
प्रभु कर लेते हैं ! !
( कर = Tax )
रवि , ११ सितम्बर २००९ , गुडगाँव
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Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Jal jeevan ki naiyya mein
Godi ki apani maiyya mein
Sukh dukh ki is shaiyya mein
Hamako hichkole dete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Surya devata jaise kar lete
Pata na jal ko lagane dete
Viase he prabhu is jeevan mein
Hamse bhi kuch har lete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Vashp udaakar Jalashayon se
Jalanidhi se kuchh boonde pakar
suryadev phir ghan madhyam se
Varsha sab par kar dete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Dete hain kar unko sab ham
Par Jan na pate unki sargam
Kab paate aur kab khote hain
Jeevan bhar hanste rote hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Kar dena to hai avashyak
Hona hai sabko natmastak
Agle jeevan ya dein pratipal
Rin na Prabhu rakhne dete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Kabhi dete hain harsh pushp
Kabhi youvan ka dambh pushp
Kabhi jeevan ke upwan mein
Shool vedana bhar dete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Kabhi jise uphaar jaante
To kabhi jise uphaas mante
Jeevan ke agle hi kshan mein
Ham unko ulta kahate hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Kabhi ashru hain harsh vidha ke
kabhi shool hain dukh duvidha ke
Kya hai harsh aur kya hai duvidha
Ham shanshit ismen rahte hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain !
Nahin nivedan kuch bhi unse
Jeevan ke is akarshan se
Safal prateet pratipal hota jo
Prabhu aashray lene dete hain !
Kahate hain
Prabhu kar lete hain ! !
… ….
मैं
तुम
ये
वो
लगता है
सब मिथ्या है !
मैं
हूँ नहीं
या
हूँ कहीं
क्षण हूँ
या
क्षण भंगुर
मैं
मन हूँ
या
आत्मा
या फिर
स्वरुप में परमात्मा
मुझे
जीवन का अवसर है
या
अवसर है आजीवन
हैं
अस्थियाँ शरीर में
या
अस्थियों पर शरीर है
मैं हूँ
शरीर के अन्दर
या है
शरीर मेरे बाहर
है
जीवन एक प्रारंभ
या है
एक त्रासदी का अंत
क्या है
जीवन का अंत
या
है ये
एक प्रयत्न अनंत
जीवन है संघर्ष
या
संघर्ष है जीवन
समर्पित है मुझे जीवन
या
हूँ समर्पित मैं जीवन को
या फिर
जीवन है स्वरुप समर्पण ,
प्रश्न हैं अनगिनत
किन्तु नहीं कोई उत्तर्दायक
पर
क्यूँ ढूंढता हूँ
किसी और को
हैं ये प्रश्न मेरे
स्वयं से
और वस्तुतः
सभी के ,
ढूँढने है उत्तर जिनके
आजन्म मुझे ,
किन्तु तब तक :
मैं
तुम
ये
वो
सब मिथ्या है !!
रवि , ११ सितम्बर २००९
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Main
Tum
Ye
Wo
Lagata hai
Sab mithya hai !
Main
Hoon nahin
Ya
Hoon kahin
Kshan hoon
ya
Kshan bhangur
Main
Man hoon
Ya atma
Ya phir
Swaroop mein Parmatma
Mujhe
Jeevan ka avsar hai
Ya
Avsar hai Ajeevan
Hain
Asthian shareer mein
Ya
Asthion par shareer hai
Main hoon
Shareer ke andar
Ya hai
Shareer mere bahar
Hai jeevan Ek prarambh
Ya hai
Ek trasadi ka ant
Kya hai
Jeevan ka ant
Ya
Hai ye
Ek Pryatn anant
Jeevan hai sangharsh
Ya
Sangharsh hai jeevan
Samarpit hai Mujhe jeevan
Ya
Hoon samarpit main jeevan ko
Ya phir
Jeevan hai swaroop samarpan ,
Prashn hain anginat
kintu nahin koi Uttardayak
Par
kyun dhoondhta hoon
Kisi aur ko
Hain ye prashn mere
Swayam se
Aur vastutah
Sabke hi
Dhoondhne hai uttar jinke
Aajanm Mujhe ,
Kintu tab tak :
Main
Tum
Ye
Wo
Sab mithya hai !!
इस जिंदगी पर उम्र के ,
इतने पड़ाव वारी किये ,
कि आज अपनी याद में ,
अपने ही फोटो जारी किये !
रवि , १० सितम्बर २००९ , गुडगाँव
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Is Zindgi par Umr ke,
Itane padaav waaree kiye,
Ki aaz apani yaad mein ,
Apne hi photo jaaree kiye !
तीस साल पहले
फिल्मों में एक विलेन की,
कहाँ से आई रीत ?
” बोले राम सकोप जब ,
भय बिन होय न प्रीत ” !
तभी से आई फिल्मों में,
विलेन की न्यारी रीत ,
भय दिखलाते हीरो को ,
पाने हीरोइन की प्रीत !
पर बात पुरानी सोच कर ,
होते हैं खूब उदास ,
आज कल के विलेन में ,
नहीं दिखती वो बात !
विलेन अजूबे आज के ,
बस डंडे हैं पिटवाते ,
“अच्छा सा छोटा सा प्यारा सा “,
बच्चा खुद को कहलाते !
क्या खीचेंगे औरों के ,
खुद के नाड़े हैं लटकते ,
पल में बनते कामेडियन ,
“आउ आऊ” कहके पिटते !
नए विलेन की भीड़ में ,
ज़माना युहीं गुज़र गया ,
तभी कहा था गब्बर ने ,
“जो डर गया सो मर गया ” !
तभी पुराने विलेन की ,
आज भी आती याद ,
ऑंखें जिनकी देखकर
था घबराता सैयाद !
“भैय्ये ” कन्हैयालाल का ,
जब परदे पर था आता
होते बच्चे थे गीले ,
और हाल था थर्राता !
“हाँइन ” कहकर जब जीवन ,
थे अपना प्लान बताते ,
अच्छे से अच्छे हीरो के ,
थे फाखते उड़ जाते !
कुटिल हंसी से अपनी ,
थे हीरोइन वो अपनाते ,
और साड़ी के अन्दर ही ,
उसे आँखों से पी जाते !
“बर्खुरदार” सुन प्राण से,
हीरो तक था घबराता ,
और पुलिस का बाप भी ,
ना रातों को सो पाता !
छल्ले बनकर धुआं जब ,
था होठों से निकलता ,
वाट 69 की झूम पर ,
महफिले हुस्न पिघलता !
जब प्रेम प्रेम से प्रेम चोपड़ा,
हीरोइन का रेप था करता ,
लोगों का दिल उसे बरसों तक,
आँखों में टेप था करता !
फिर अजीत की बातों का ,
कुछ अंदाज़ था निराला ,
था देश के दिलों ने उसे ,
हीरो से ज्यादा पाला !
हीरो को सारे भूलकर ,
थे उसके सब दीवाने ,
“मोना डार्लिंग” सुनते ही ,
जल उठते थे परवाने !
था वो किंग विलेन का ,
उसे मानते थे सारे ,
ज़ंजीर और चरस जैसे ,
किये रोल बहुत सारे !
ज़माना था जब उसे ,
बच्चा बच्चा पहचानता था ,
सारा शहर उसे ,
लायन के नाम से जानता था !
सफ़ेद कोट और टोपी के ,
पीछे से था वो बोलता ,
रॉबर्ट से लेकर मोना तक ,
दिल था सबका डोलता !
रॉबर्ट और मोना को ,
जब था प्यार से बुलाता ,
एसिड से भरे टैंक में ,
दुश्मन को था सुलाता !
हीरोइन की साड़ी वो ,
था पिस्तौल से उतारता ,
और उसकी इज्ज़त ,
आँखों से था डकारता !
देव आनंद से धरमेंदर तक ,
उसने सबको था डराया ,
और घोड़े की “ज़ंजीर” से ,
अमिताभ को हिट कराया !
उम्र बीती गए पर कोई ,
उसे गया नहीं मानता है ,
ये ज़माना उसे आज भी ,
किंग ऑफ़ विलेन ही मानता है !
नहीं भूलता जमाना उसकी ,
आवाज़ को पहचानता है ,
और आज भी सारा शहर उसे ,
लायन के नाम से जानता है !!
रवि , ९ सितम्बर २००९ , गुडगाँव
देश …. Desh !
कब होगा देश महान , जब हम साथ न रहते ,
खुद को न कुछ देख , बस एक दूजे को कहते |
शत प्रतिशत की नहीं आस , बस इतना बोलेंगे ,
बदलेगा ये देश यदि , दस प्रतिशत बदलेंगे |
हम उनकी संतान , इसे कैसे भूलेंगे भैय्या ,
जिनके खून पर हुई खड़ी , स्वाधीनता मैय्या |
बदलेगा ये देश और दिन , जब हम संभलेंगे ,
जब बोलेंगे पश्चात् प्रथम , स्वयं को बदलेंगे |
यदि किया यही तो फिर से , सब सीने फूलेंगे ,
और भूल के सब कुछ , फिर से गर्वित झूलेंगे |
धोती हैं सबका मैल , और कहती हैं गंगा मैया ,
धोओ तुम भी मैल देश का , न करो खिलैय्या |
करो समर्पित स्वयं को , फिर दूँगी मैं वरदान ,
युगों युगों तक रहे चमकता , मेरा देश महान !!
रवि , २९ अगस्त २००९ , गुडगाँव……..
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Kab hoga desh mahaan jab ham saath na rahte,
Khud ko na kuchh dekh bas ek duje ko kahte .
Shat pratishat ki nahin aas bas itana bolenge ,
badlega ye desh yadi das pratishat badlenge .
Hum unki santaan ise kaise bhulenge bhaiyya,
jinke khoon par hui khadi swadhinta maiyya.
Badalega ye desh aur din jab hum sambhalenge ,
jab bolenge pashchat pratham swayam ko badalenge.
Yadi kiya yahi to phir se sab seene phoolenge,
Aur bhool ke sab kuchh ek bar garvit jhoolenge .
Dhoti hain sabka mail aur kahti ganga maiya ,
dho o tum bhi mail desh ka na karo khilaiyya .
karo samarpit swayam ko phir doongi mai vardaan,
yugo yugon tak rahe chamakata tera desh mahaan !
बारिश की इन बूंदों में ,
एक आस दिखाई देती है ,
धरती से जा मिलने की ,
एक प्यास दिखाई देती है !
विरह की ठंडी अग्नि में ,
एक ज्वाल दिखाई देती है ,
अभिलाषा पिय आलिंगन की ,
प्रति काल दिखाई देती है !
पिय चुम्बन के आकर्षण में ,
हर स्वास दिखाई देती है ,
परिभाषा पिघले होठों की ,
कुछ खास दिखाई देती है !
प्रतिबिंबित धड़कन आँखों में ,
प्रति बार दिखाई देती है ,
स्वर लहरी चिर-आलिंगन की ,
इस पार दिखाई देती है !!
बारिश की …..
..रवि , २५ अगस्त 2009, गुडगाँव
***********************************
Barish ki in boondon mein,
Ek aas dikhai deti hai,
Dharti se jaa milane ki,
Ek pyaas dikhai deti hai !
Virah ki thandi agni mein,
Ek jwal dikhai deti hai ,
Abhilasha piya alingan ki ,
Prati kaal dikhai deti hai !
Piya chumban ke akarshan main,
Har swaas dikhai deti hai ,
Paribhasha pighle hothon ki ,
Kuch khaas dikhai deti hai !
Pratibimbit Dhadkan ankhon main ,
Prati bar dikhai deti hai ,
Swar Lahari chir- alingan ki ,
Is paar dikhai deti hai !!
Baarish ki …..
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English Translation …….. Kind Courtsey Om Raizada
-: Rain of Love :-
In these rain drops a hope is seen |
……..To meet the soil they are keen ||
A hidden fire of nostalgia has a big flame |
…I always keep a desire to embrace my dame ||
Every breath of mine wants the osculation of my sweet heart |
………..The melted lips tell the truth of my love – it is not a blurt ||
My eyes can continuously see the reflection of palpitation |
……..Sound waves of timeless embracement lie in my imagination ||
Om Raizada ; 28 June 2011
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प्रभु ने पूछा
मूल्य दिया क्या ?
इस जग में तुम आये ,
कोटि कोटि योनिओं को जीकर ,
मनुष्य रूप जब पाए ,
सुख दुःख के इस अविरल पथ पर ,
स्वयं को तुमको खोना होगा ,
मूल्य तो तुमको देना होगा !
जब किया तुम्हे था जीवन अर्पण ,
मंत्र दिया था तुम्हे “समर्पण “,
पावन जीवन की उषा में ,
कहा तुम्हे था करो स्व-अर्पण ,
जीव जीव को मित्र सखा को ,
अग्रज को और मात पिता को ,
आर्शीवाद प्रतिजन से लेना होगा ,
मूल्य तो तुमको देना होगा !
प्रभु , वर्ष गिरे तो जानी भाषा ,
समर्पण जीवन की परिभाषा ,
फिर जागी मेरी अभिलाषा ,
और लगाई संबंधों से आशा ,
कि वो भी समझें मेरी ये भाषा ,
किन्तु असंभव इस आशा पर ,
कई बार अब मैं रो चुका हूँ ,
प्रभु , मूल्य तो मैं खो चुका हूँ !
चिर स्वप्न थे मेरे निरंतर ,
जीवन सागर के इस पथ पर ,
आशा का संचार करूंगा ,
परोपकार के नाम पे सबके ,
अपना भी उद्धार करूंगा ,
किन्तु हृदय के इस पंछी में ,
अचेतन अब मैं हो चुका हूँ ,
प्रभु , मूल्य तो मैं खो चुका हूँ !
अब जब देखूं अपने वास ,
नहीं होता स्वतः विश्वास ,
कोढ़ता हूँ अन्तेर्मन को ,
लिया दिया सब ही स्वजन को
नहीं दिया कुछ भी परिजन को ,
अपनी मानवता का चेहरा ,
मै कालिमा से धो चुका हूँ ,
प्रभु , मूल्य तो मैं खो चुका हूँ !
अब चलता पथ पर अकेला ,
छोड़कर उस भीड़ का रेला ,
अपने ही कन्धों पर ढोता ,
मूल्य समर्पण के और रोता ,
दृढ़ता और आशा थी फिर भी ,
मूल्यों की इस हार जीत में ,
अब चिर निद्रा में सो चुका हूँ ,
प्रभु , मूल्य तो मैं खो चुका हूँ !
प्रभु बोले नहीं दिया है तुमने ,
बस मूल्य को अपने खोया है ,
गुरु मंत्र समर्पण का भुलाकर ,
विष बीज नया कोई बोया है ,
करने को इस भूल का प्रायश्चित ,
जब तक ना हो जाओ समर्पित ,
प्रति बार जन्म तुम्हे लेना होगा ,
मूल्य तो तुमको देना होगा !!
रवि ; गुड़गाँव : १८ अगस्त २००९
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Prabhu ne poochha
mulya diya kya ?
Is jag mein tum aaye,
Koti koti yonion ko jeekar,
Manushya roop jab paye,
Sukh dukh ke is aviral path par,
Swayam ko tumko khona hoga,
Mulya to tumko dena hoga.
Jab kiya tumhe tha jeevan arpan ,
Mantra diya tha tumhe “samarpan”,
Pawan jeevan ki usha mein ,
Kaha tumhe tha karo “samarpan”,
Jeev jeev ko mitra sakha ko ,
Agraj ko aur Matri pita ko ,
Ashirwad pratijan ka lena hoga
Mulya to tumko dena hoga !
Prabhu , Varsh gire to jani bhasha,
samarpan jeevan ki paribhasha,
Phir jaagi meri abhilasha ,
Aur lagai sambandhon se asha ,
Ki wo bhi samajhen meri ye bhasha ,
Kintu asambhav is asha par ,
Kai baar ab main ro chuka hoon ,
Prabhu, Mulya to main kho chuka hoon !
Chir swapn the mere nirantar ,
Jeevan sagar ke is path par ,
Asha ka sanchar karoonga ,
Paropkar ke naam pe sabke,
Apna bhi uddhaar karoonga,
Kintu hridaya ke is panchhi ki ,
Ab Chetana main kho chuka hun,
Prabhu, Mulya to mai kho chuka hun !
Ab jab dekhoon apne vaas,
Nahi hota swatah vishwas,
Kodhata hoon anterman ko,
Liya diya sab hi swajan ko,
Nahin diya kuch bhi parijan ko,
Apni manavata ka chehra,
Main Kalima se dho chuka hoon,
Prabhu , Mulya to mai kho chuka hoon !
Ab chalata path par akela,
Chodkar us bhid ka rela,
Apane hi kandhon par dhota
Mulya samarpan ke aur rota,
Dridhta aur asha thi phir bhi,
Mulyon ke is haar jeet mein,
Ab chir nidra mein so chuka hoon,
Prabhu, Mulya to main kho chuka hoon !
Prabhu bole nahin diya hai tumne ,
Bas Mulya ko apane khoya hai ,
Guru mantra samapan ka bhulakar ,
Vish Beej naya koi boya hai ,
Karane ko is bhool ka prayschit ,
Jab tak na ho jao samarpit ,
Prati bar janm tumhe lena hoga ,
Mulya to tumko dena hoga !!
मत डालो मत , मत डालो मत ,
डालो मत या मत डालो मत ,
डालो कितने और किसको मत ,
होते नहीं इस पर सब सहमत ,
मति को करता बेकाबू मत ,
कितनी महिमा का होता मत ,
मत के आगे सब नतमस्तक ,
सबके सर चढ़ जाता है मत ,
जब से चढ़ा लालू के सर मत ,
व्यस्त हुए ऊँगली और मस्तक ,
तब से सपनों तक में देते मत ,
पर फिर भी ना पड़ते पूरे मत ,
मत से पीछे अब हटना मत ,
पल पल करो इकठ्ठा जनमत,
डालो प्रति पल कंप्यूटर मत ,
जब तक ना N पाए बहुमत ,
तभी होंगे लालू जी सहमत ,
और देंगे हमको कुछ अनुमत ,
करने की आराम वो वरना ,
रोज़ कहेंगे “और डालो मत ” |
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Mat dalo mat, mat dalo mat,
Dalo mat ya mat dalo mat,
Dalo kitne or kisko mat ,
Hote nahin is par sab sahmat ,
Mati ko karata bekabu mat,
kitni mahima ka hota mat ,
Mat ke age sab natmastak ,
Sabke sar par chad jata mat ,
Jab se chada Lalu ke sar mat,
Vyast hue ungli aur mastak ,
tab se sapno tak mein dete mat ,
Phir bhi na padte poore mat ,
Mat se peeche ab hatana mat,
Pal pal karo ikaththa jan mat ,
Dalo prati pal computer mat ,
Jab tak na N paye bahumat ,
Tabhi honge laluji sahmat ,
Aur denge hamko kuch anumat,
Karne ki araam wo varana ,
Roz kahenge “aur dalo mat “
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