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जीता हूं ख़ुद से मैं , तो अब ख़ुद को पाया है ,
रंग पक्के इरादों का , मेरी आँखों में छाया है ,
जाना है मैने कि , परछाइयाँ सच्ची नहीं होतीं ,
दूर की रोशनी में होता , ख़ुद से बड़ा साया है !