इश्क़ !! ….. ….. …..
मिली नज़र जो आपसे , ना दूर हो सके ,
ये बात और है कि ना , मशहूर हो सके ।
थी बीमारी आपको , भुलाने की रिश्ते ,
इसीलिये आँखों का हम ना , नूर हो सके ।
मेरी नज़र में आप थीं , पर आप में कोई और,
हम आपकी नज़र का ना , सुरूर हो सके ।
आपकी आँखों और , बातों में थी जफ़ा ,
मेरे ख़्वाब फिर भी ना , मजबूर हो सके ।
जीते हैं मोड़ ज़िन्दगी के , हमने सब यहाँ ,
पर ना इश्क़ के मैदान के , हुज़ूर हो सके ।
रवि ; दिल्ली : १ अप्रैल २०१३