बिसात October 01 2012| 0 comments | Category : Poetry , Shayari वक़्त की बिसात पर आज मेरा साया है , ग़ुबार दिल पे पुरानी बातों का छाया है , क्या भूलूं और क्या याद करूं मैं आज , खोके ज़िन्दगी को मैंने खुद को पाया है । रवि ; ऍठलाण्ठा : ३० सितम्बर २०१२