कसूर
क्यूँ मुझे वो गीत कुछ सच्चा सा नहीं दिखता है ,
क्यूँ मुझे वो संगीत कुछ अच्छा सा नहीं दिखता है ,
क्यूँ मुझे उन आँखों में काेई सपना सा नहीं दिखता है ,
क्यूँ मुझे उन बातों में कोई अपना सा नहीं दिखता है ,
हैै ये मेरा , मेरे दिल का या मेरी इन आँखों का कसूर ,
कि अक्स मुझे अपना भी धुन्धला सा अब दिखता है ।
रवि ; न्यूयार्क : २१ सितम्बर २०१२