तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
कलियों की ये शोख़ी
फूलों का ये यौवन
हवाओं की अठखेलियाँ
भंवरों का ये मधुबन !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
कल कल करती नदियों का
सिन्धु में मिल जाना
झूमती गाती लहरों का
फिर साहिल से टकराना !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
शाम के अँधेरे में
सूरज का डूब जाना
आकाश के आंगन में
तारों का झिलमिलाना !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
सूरज की पहली किरण
और पुष्पों की तरुणाई
रात्री का अंतिम पहर
और तारों की अंगड़ाई !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
चाँदनी के साथ साथ
तारों की ये झिलमिल
आकाश की ये गुपचुप
धरती के साथ हिलमिल !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
दूर चांद से होकर भी
चकोर का ये प्यार
आशा की चाँदनी में
एक असीम इंतज़ार !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
शाम के धुंधलके में
फूलों का यूँ सिमटना
फिर रात की तन्हाई में
यूँ चांदनी से लिपटना !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
सूरज की छाया में
टूटते ये बंधन
पुष्पों के कपोलों पर
भंवरों के चुम्बन !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
पायल की छमछम पर
सावन का थिरकना
रिमझिम के मौसम में
यौवन का बिखरना !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
प्यार की तनहाई में
होठों का थरथराना
यौवन की तरुणाई में
आँखों का मुस्कुराना !
तुम्हारी याद दिलाते हैं !!
रवि ; रुड़की : १९८२