561061_4011636223617_270525541_n

कलियों की ये शोख़ी
फूलों का ये यौवन
हवाओं की अठखेलियाँ
भंवरों का ये मधुबन !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

कल कल करती नदियों का
सिन्धु में मिल जाना
झूमती गाती लहरों का
फिर साहिल से टकराना !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

शाम के अँधेरे में
सूरज का डूब जाना
आकाश के आंगन में
तारों का झिलमिलाना !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

सूरज की पहली किरण
और पुष्पों की तरुणाई
रात्री का अंतिम पहर
और तारों की अंगड़ाई !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

चाँदनी के साथ साथ
तारों की ये झिलमिल
आकाश की ये गुपचुप
धरती के साथ हिलमिल !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

दूर चांद से होकर भी
चकोर का ये प्यार
आशा की चाँदनी में
एक असीम इंतज़ार !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

शाम के धुंधलके में
फूलों का यूँ सिमटना
फिर रात की तन्हाई में
यूँ चांदनी से लिपटना !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

सूरज की छाया में
टूटते ये बंधन
पुष्पों के कपोलों पर
भंवरों के चुम्बन !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

पायल की छमछम पर
सावन का थिरकना
रिमझिम के मौसम में
यौवन का बिखरना !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

प्यार की तनहाई में
होठों का थरथराना
यौवन की तरुणाई में
आँखों का मुस्कुराना !

तुम्हारी याद दिलाते हैं !!

रवि ; रुड़की : १९८२