आज़ादी ! ….. Azaadi !
कभी कोई नहीं देता मौका किसी को , वो मौका तो ख़ुद ही हमें लेना होगा ,
जिन्होंने सींचा आजादी को खून से , क़तरों के उनका हिसाब हमें देना होगा |
आवाज़ को करके पुरज़ोर , उठना होगा, कर गुजरना होगा और बदलना होगा ,
बदलना होगा खेल , बदलने होंगे वज़ीर , और ख़ुद भी ज़मीर को बदलना होगा |
किया था वादा ख़ुद से कि संभाल कर रखेंगे सबकी आजादी को हम हमेशा ,
अब अपनी बात की सच्चाई को परखना होगा और ना देना उसे पिघलना होगा |
वरना तो इस ज़िन्दगी की नियामत को, बस यूँ ही बेकार में ही ढलना होगा ,
और चाहे कुछ भी रहें कहते हुए हम , पर पल पल में रहते हमें मरना होगा ||
रवि ; अहमदाबाद : २३ अगस्त २०११
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Kabhi koi nahin deta mauka kisi ko , wo mauka to khud hi hamein lena hoga ,
Jinhone seencha azaadi ko khoon se , qataron ke unka hisaab hamein dena hoga !
Awaaz ko karke purzor , uthana hoga , kar gujarana hoga aur badalana hoga ,
Badalana hoga khel, badalane honge Wazir, aur khud bhi zamir ko badalana hoga !
Kiya tha waada khud se ki sambhal kar rakhenge sabki azaadi ko hum hamesha ,
Ab Apni baat ki sachchai ko parakhna hoga aur na dena use pighalana hoga !
Warna to is zindagi ki niyamat ko bas yun hi bekar mein dhalana hoga ,
Aur chahe kuchh bhi rahen kahte hue huam, par pal pal mein rahte hamein marna hoga !!
Ravi ; Ahmedabad : 23 August 2011 .