राष्ट्र !!
स्वतन्त्र राष्ट्र
गणतंत्र राष्ट्र
फिर भी क्यूँ परतन्त्र राष्ट्र !
परतन्त्र बढ़ते इस भ्रष्टाचार से
प्रतीक्षित न्याय की चीत्कार से
प्रति दिन आतंकवादी प्रहार से
राजनीतिक अपराधियों की भरमार से !
पूर्ण राष्ट्र
संपूर्ण राष्ट्र
फिर भी क्यूँ अपूर्ण राष्ट्र !
अपूर्ण भूख के कगार से
ग़रीबी की मार से
महँगाई के भार से
रोज़ बढ़ते बेरोज़गार से !
ज्ञानी राष्ट्र
सुज्ञानी राष्ट्र
फिर भी क्यूँ अज्ञानी राष्ट्र !
अज्ञानी शिक्षा के व्यापार से
समाज में गिरते शिष्टाचार से
अर्धमृत संस्कारों की भरमार से
बच्चों पर कामकाज की मार से !
स्वाधीन राष्ट्र
निश्चयाधीन राष्ट्र
फिर भी क्यूँ पराधीन राष्ट्र !
पराधीन विश्वव्यापार से
चीनी वस्तुओं की भरमार से
आयात के बढ़ते कारोबार से
अस्वावलंबी नीतियों की सरकार से !
सक्षम राष्ट्र
सुसक्षम राष्ट्र
फिर भी क्यूँ असक्षम राष्ट्र !
असक्षम अनुशासनहीन व्यवहार से
महिलाओं के बलात्कार से
भ्रूण हत्या के सरोकार से
किंकर्तव्यविमूढ़ सरकार से !
अब तक बहुत प्रतीक्षा सही
संसार की राष्ट्र समीक्षा सही
अब उठकर धर्म निभाना है
सब को अब देश बनाना है !
आओ बनाये सशक्त राष्ट्र
अनुशासन से आसक्त राष्ट्र !
उन्नति से परिपूर्ण राष्ट्र
सामाजिक न्याय से पूर्ण राष्ट्र !
अहिंसा का परिचारक राष्ट्र
शत्रु का नाशकारक राष्ट्र !
न्याय से विख्यात राष्ट्र
शिक्षा से प्रख्यात राष्ट्र !
महिलाओं का सुरक्षित राष्ट्र
प्रकृति का आरक्षित राष्ट्र !
मानवता में लीन राष्ट्र
आतंक से विहीन राष्ट्र !
राजनीति धर्म का मूल्य राष्ट्र
जन नीतियों का सुमूल्य राष्ट्र !
हो अब नव निर्माण राष्ट्र
जनहित से कल्याण राष्ट्र
जन जन की हो आन राष्ट्र
हो जीवन का सम्मान राष्ट्र !
ले शपथ बढायें राष्ट्र मान !
मिलकर हम गायें राष्ट्र गान !!
रवि ; दिल्ली : १६ अगस्त २०१३