… धागे ! August 20 2013| 0 comments | Category : Poetry , Shayari कलाई पे इस धागे की , बात ही अलग है , ये भाई को बहन की , सौग़ात ही अलग है , बढ़ते हैं रिश्ते बस , परवाह की ज़मीन पर , वरना तो सारे रिश्तों की ,जात ही अलग है ! रवि ; दिल्ली : २० अगस्त २०१३