गुनाह ! ……… Gunaah !
देखता हूँ , जो मुड़कर अपने दिन
ज़िन्दगी के , वो बिताये पल छिन
तो लगता है , नहीं मुझे थी खबर
सो रहा था ,अपने आप में बेखबर
गुनाहों की भीड़ में , मैं बस अकेला था
चारों तरफ मेरे ,गुनाहों का ही मेला था
किसके थे गुनाह , मैं ये सोचता हूँ
क्यूँ खो गया था मैं , ये पूछता हूँ
पर क्यूँ पूछता हूँ , जब मैं ये जानता हूँ
करता हूँ स्वयं स्वांग , पर नहीं मानता हूँ
ये सब किया धरा , मेरा ही घेरा है
गुनाहों का लगाया यहाँ , मैंने ही डेरा है
गुनाह मेरी छाती में , पौधे से पनपते हैं
निकलकर सापों से फिर , सबको वो डसते हैं
मैं सोचता हूँ , मैं उन्हें हांकता हूँ
पर किधर जायेंगे वो , मैं नहीं भांपता हूँ
फिर कैसे मैं , ख़ुद पे ऐतबार करूँ
हिम्मत नहीं है , कि ख़ुद से इकरार करूँ
कब तक चलेगा सिलसिला , मैं क्यूँ खोता हूँ
कर्म पुरुष हूँ मैं , फिर मैं क्यूँ रोता हूँ
उठना है मुझे , गुनाहों को मार गिराना है
मारकर उनको मुझे , फिर आग़ से जलाना है
ताकि ना रहे अस्तिव उनका , जो मुझको लुभाता है
फिर दोष बोध करा के , मुझे ख़ूब ही रुलाता है
होऊंगा सफल , मुझे जीतने की आस है
मिटाऊंगा गुनाहों को , इस जीवन में विश्वास है !!
रवि ; अहमदाबाद : २३ मार्च २०१२
Dekhta hun , jo mudkar apne din
Zindagi ke , wo bitaaye pal chhin
To lagta hai , nahin thi mujhe khabar
So raha tha , apne aap mein bekhabar
gunaahon ki bhid mein, main bas akela tha
chaaron taraf mere , gunaahon ka hi mela tha
Kiske the wo sab , main ye sochta hun
Kyun gaya tha kho , main ye poochhta hun
Par kyun poochhta hun , jab main jaanta hun
karta hun swayan swang , par nahin manta hun
Ye sab kiya dhara , mera hi ghera hain
Gunaahon ka lagaya yahan , maine hi dera hai
Gunaah meri chhati mein , paudhe se panapate kain
Phir nikalakar saapon se , wo sabko hi dasate hain
Main sochta hun , main unhe hankta hun
Par kidhar jaayenge wo , main nahin bhanpata hun
Phir kaise main , khud pe aitbaar karun
himaat nahin hai ki , main khud se ikraar karun
kab tak chalega ye silsila , main kyun khota hun
Karm purush hun main phir , main kyun rota hun
Uthana hai mujhe , gunahon ko mar girana hai
Markar unko mujhe , phir aag se jalana hai
Taki na rahe unka astiv , jo mujhko lubhata hai
Phir dosh bodh unka mujhe , khoob hi rulata hai
Hounga safal , mujhe jeetane ki aas hai
Mitaaunga gunaahon ko, is jeevan mein vishvaas hai !!
Ravi ; Ahmedabad : 23 March 2012