फिर इक बार …. !!
ग़मों ने मुझको मारा है , अभी थोड़ा तो जीने दो ,
बड़ी मुद्दत से प्यासा हूँ , ज़रा दो घूँट पीने दो !
साहिल की तमन्ना में , नहीं रोया था बरसों मैं ,
अब उम्मीद टूटी है , तो दो आँसू तो पीने दो !
मैं आया हूँ मैं जाऊँगा , क्यूँ कहते हैं सब मुझसे ,
अभी तो साँस बाक़ी है , दो क़तरा तो जीने दो !
दिल की मेरी चाहत तू , पर तेरी थी रूसवाई ,
तुझे चाहूँगा फिर से मैं , दो कड़वे घूँट पीने दो !
ख़्वाहिश है तू मेरी हो , मैं तेरा हो के मर जाऊँ ,
वफ़ा की उधड़ी तुरपाई , फिर इक बार सीने दो !
रवि ; २६ अक्टूबर २०१३