होली आयी रे !! ……. Written in 1981 .
ये देखो होली आई रे !
रंगों की बरखा लाई रे !!
ये देखो होली आई रे !
शीत से पीछा छूट गया
पतझड़ का मौसम बीत गया
नये फूल हैं , नयी कोपलें
नयी उमंगें , नयी तरंगें
प्रकृति में हरियाली छाई रे !!
ये देखो होली आई रे !
आज गगन है नीला पीला
धरा का रूप हो रहा सजीला
रंग , अबीर , गुलाल उड़ रहा
हर तरफ प्यार का रंग दिख रहा
सबमें प्यार बढाने आई रे !!
ये देखो होली आई रे !
गालों का रंग हो रहा गुलाबी
होठों पर है लाली ही लाली
दीवाने दिल मचल उठे
चोली के बंधन कसक उठे
आँखों में मस्ती छाई रे !!
ये देखो होली आई रे !
रवि ; लखनऊ : मार्च 1981