हैरान ! August 03 2012| 0 comments | Category : Kavita , Poetry अपनी तनहाइयों पर हैरान होता हूं मैं , अध चुके ख़्वाबों के बीच खोता हूं मैं , पुकारूं किसको और कब तक पुकारूं , थककर ख़ुद की आवाज़ से सोता हूं मैं ! रवि ; दिल्ली : जुलाई २०१२