स्पंदन !!
जीवन की परिभाषा में ,
सांसों की अभिलाषा में ,
देखता हूँ तुमको मैं ,
स्पंदन की आशा में !
मैं तुम्हारा और तुम ,
सदा मेरा हो स्पंदन ,
प्रेम का , जीवन का ,
सांसों का अभिनन्दन !
छूता है मुझे जीवन ,
जब छूती हो तुम !
सांसों की गिनती में ,
सपनों की विनती में ,
मैंने कहा मैं तुम्हारा ,
तुम बोली हो मेरी तुम !!
रवि ; गुडगाँव : नवम्बर २००३