…साथ ना कोई मिला !
रात भर चाँद जला , बिन किये कोई गिला ,
चाँदनी सुबह घुली , साथ ना कोई मिला !
ओस सूखी सी मिली , मिट्टी भीगी सी मिली ,
टूटे ख़्वाबों का सिला , साथ ना कोई मिला !
बेरहम धूप खिली , मुरझाई दिल की कली ,
दर्द सांसों में ढला , साथ ना कोई मिला !
नश्तर यादों के चुभे , झूठे वादों के मुझे ,
लम्हा कोई ना खिला , साथ ना कोई मिला !
शिकवा आँखो ने किया , अश्क़ होठों ने पिया ,
मै अकेला ही चला , साथ ना कोई मिला !