समंदर हूँ …. !!
समंदर हूँ लहरों में , दूर तलक जाता हूँ ,
दूर आसमां से , साहिल को मिलाता हूँ !
फ़लक भी है इक किनारा , उम्मीद बढ़ाता हूँ ,
नामूमकिन कुछ नहीं है , इसां को बताता हँू !
देखें जो मुझको आशिक़ , आँखो में प्यार लेके ,
मैं इश्क़ की नज़र में , वादे को जगाता हूँ !
पा लोगे जो भी चाहो , ग़र सोच हो सबर हो ,
छाती में सीप की मैं , मोती को खिलाता हूँ !
धरती को जोड़ता मैं , लोगों को मिलाता हूँ ,
साये में चाँदनी के , सूरज को दिखाता हूँ !
रवि ; दिल्ली : १८ जुलाई २०१३