हम ज़हर से बुझाएंगे ये ज़हर या अपने प्यार से ,
देख लाशें थक चुके हैं अब हम इस व्यापार से !
करो कुछ तो नेताओं निकलो बातों के ग़ुबार से ,
ज़िन्दगी मिट रहीं यहाँ ग़लत फैसलों की मार से !!

रवि ; अहमदाबाद : ८ सितम्बर २०११

Hum Zahar se bujhayenge ye zahar ya apne pyar se ,
Dekh laashen thak chuke ab hum is vyapar se !
Karo kuchh to Netaon niklo baaton ke gubaar se ,
Zindagi mit rahin yahan galat faislon kee maar se !!

Ravi ; Ahmedabad : 8 September 2011