रोज़ आँखों में ….. !!
टूटा तारा , मेरी आँखों में , यूँ पिघला कैसे ,
फिर तेरा नाम , होठों से , यूँ निकला कैसे !
चाँदनी रात भर , होठों से , शरारत है करे ,
फिर मेरा चाँद , हथेली सें , यूँ फिसला कैसे !
मेरे दिल की तू , धड़कन में , हमेशा थी बसी ,
फिर मेरा दिल , तेरी याद में , यूँ मचला कैसे !
तुझको हाथों की , लकीरों में , बसाया मैने ,
फिर तेरा प्यार , उम्मीद से , यूँ बदला कैसे !
रोज़ आँखों में चुभें , लम्हे वो , जफ़ा के तेरे ,
फिर भुलाऊँ मैं , गया वक़्त , यूँ पिछला कैसे !