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चलने का ये सिलसिला ना रुकेगा अब कभी भी ,
इन मंजिलों से कहीं ज्यादा मुझे रास्ते हैं प्यारे !

रवि ; अहमदाबाद : ३ सितम्बर २०११

Chalne ka ye silsila naa rukega ab kabhi bhi ,
In manzilon se kahin zyada mujhe raaste hain pyare !

Ravi ; Ahmedabad : 3 September 2011