रावण ! ….. Ravan !
बीतते हैं त्यौहार और गुजरते है सावन ,
रोज़ देखता हूँ मैं अपने अंदर के रावण ,
कभी जीतता हूँ और कभी हार जाता हूँ ,
पर लड़ता रहूँगा जब तक न बनूँ पावन |
रोज़ देखता हूँ मैं अपने अंदर के रावण ,
कभी जीतता हूँ और कभी हार जाता हूँ ,
पर लड़ता रहूँगा जब तक न बनूँ पावन |
रवि ; गुड़गांव : २९ सितम्बर २००९
Beetate hain tyohar aur guzarate hain sawan ,
Roz dekhata hun main apne andar ke Ravan ,
Kabhi jeetata hoon aur kabhi haar jaata hun ,
Par ladata rahunga jab tak naa banun paawan !
Ravi ; Gurgaon : 29 September 2009…