यादें ! August 29 2012| 0 comments | Category : Kavita , Poetry वो तमाम यादें जो पतझड़ के मौसम में आकाश के पेड़ से टूटते सितारों की तरह टूट चुकी हैं आज भी मुझे याद हैं ! रवि ; रुड़की : अक्टूबर १९८१