मैक़दा …… !!
मेरी तनहाई , दिल से जुदा , हो गयी है ,
ये नज़र , चाँदनी पे फ़िदा , हो गयी है !
उठी थी नज़र , जब तलक , थी शोख़ी भरी ,
अब झुकी वो नज़र , तो ख़ुदा , हो गयी है !
आँखों में आजकल , जुगनू हैं , जगमगाते मेरी ,
ये ज़िन्दगी , रोशनी की सदा , हो गयी है !
जीना मरना है , तेरी साँसों में , अब तो मुझे ,
इश्क़ की इन्तेहाॅ , मेरी अदा , हो गयी है !
उनकी नज़रों पे , मैंने ख़ुद को , नज़र है किया ,
इक नज़र प्यास , इक मैक़दा , हो गयी है !
रवि ; न्यूयार्क : १६ नवम्बर २०१३