मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं ?

जैसा हो सच वैसा कहूं
या अच्छा लगे वैसा कहूं
जो भला करे वैसा कहूं
या बुरा करे वैसा कहूं ?

मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं ?

जो सच लगे वैसा कहूँ
या सच करे वैसा कहूं
सच को बनाके प्रिय कहूं
या अप्रिय सच भी कहूं ?

मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं ?

अपलक हूँ रहता सोचता
मैं किसके प्रति सच्चा रहूँ
स्वयं , स्थिति या कल्याण
मैं किसके लिए माथा धरूँ ?

मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं !

यदि कहता हूँ सत्य मैं
तो उसके प्रति बुरा बनूँ
जो कहूं उसकी प्रिय बात
तो अपने प्रति झूठा बनूँ

मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं ?

जो कहूं सत्य कल्याण का
तो सबका ही मैं बुरा बनूँ
जो ना कहूं तो क्या कहूं
कुछ भी कहूं तो क्या कहूं ?

नहीं कर पता निश्चय मैं
मैं क्या कहूं और क्यूँ कहूं !

रवि , अहमदाबाद , २९ मई २०११