माँ कहती है
धनवान नहीं गुणवान बनो !

मर्यादा का मान करो
स्व-सामर्थ्य का ध्यान धरो
जितनी चादर उतने पैर
स्वयं में प्रतिमान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

निष्काम भाव स्वभाव करो
बातों में सदभाव भरो
भक्ति भरा उन्मुक्त भाव
प्रभुत्व का गुणगान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

मुखोचित बस बात करो
अन्यत्र ना समवाद करो
गुण देखो उनको सीखो
गुणों का स्वाभिमान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

ना स्वयंता ध्यान करो
द्विजस्वप्न का मान धरो
करो सिंचाई अपना जान
उनका तुम सम्मान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

गुरू गोविन्द निर्मल दोहा
ना केवल ध्यान धरो
बिना गुरू मुक्ति असंभव
गुरू स्रद्धा सम्मान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

धन नहीं बनाता धनवान
दानी बन धनवान बनो
परिभाषा के चरितार्थ हेतु
स्वयं ही परोपकारवान बनो !

धनवान नहीं गुणवान बनो !

माँ कहती है
धनवान नहीं गुणवान बनो !

रवि ; दिल्ली : १७ जनवरी २०१३