वक़्त की बिसात पर आज मेरा साया है ,

ग़ुबार दिल पे पुरानी बातों का छाया है ,
क्या भूलूं और क्या याद करूं मैं आज ,
खोके ज़िन्दगी को मैंने खुद को पाया है ।

रवि ; ऍठलाण्ठा : ३० सितम्बर २०१२