फ़साने ! December 09 2012| 0 comments | Category : Poetry , Shayari हजारों हैं ग़म ज़िन्दगी में ज़माने में , क्या क्या सुनायें हम आपको फ़साने में ! रवि , दिल्ली ; ९ दिसम्बर २०१२