जीवन की हर मार से तू बचाता है मुझे भगवान् ,
फिर भी कभी जताता नहीं तू रहता क्यूँ अंतर्ध्यान !

रवि ; अहमदाबाद : २ सितम्बर २०११

Jeevan ki har maar se tu bachata hai mujhe Bhagwaan ,
Phir bhi kabhi jatata nahin Tu rahta kyun Antardhyaan !

Ravi ; Ahmedabad : 2 September 2011