निगाह September 30 2012| 0 comments | Category : Poetry , Shayari बस वक़्त की फिराक़ में ज़िंदगी निकल गयी , बात छुपाई हर हाल में पर ज़ुबंा फिसल गयी , किया क्या ना हमने और कितना पुकारा उन्हे , पर बह चुकी वफ़ा में उनकी निगाह बदल गयी ! रवि ; ऍठलाण्ठा : २९ सितम्बर २०१२