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मेरे मौला तू सबकी , दुआओं का सिला दे दे ,
सारी दुनिया को दोस्ती का , सिलसिला दे दे !

हारे ना कोई बाज़ी , ज़िन्दगी के खेल में ,
सब जीतें दोस्ती में यहाँ , तू ये फ़ैसला दे दे !

इन्सानियत का मज़हब , होता है सबसे ऊँचा ,
मज़हब के पहरेदारों को , तू ये इत्तिला दे दे !

ऊँचा रहेगा परचम , सच का इस जहाँ में ,
सच्चों का सारे अपने , तू एक क़ाफ़िला दे दे !

जीतेगें वो यहाँ पर , नेकी की राह चल कर ,
बन्दों को सारे अपने , तू ये हौसला दे दे !

रवि ; दिल्ली : ४ अगस्त २०१३