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जब सिर्फ तुम थे और हम थे

सब कुछ कितना अच्छा था

जब तक थे तुम और थे हम

तब तक ही सब अच्छा था !

जिसको हमने सोच समझ

ह्रदय से माना पक्का था

जीवन की इस उधेड़ बुन में

वो निकला धागा कच्चा था !

दिन देखे अनगिन सपने वो

औ माना जिनको सच्चा था

जब सूखे बरस पलकों में तब

जाना दिल वो एक बच्चा था !!

रवि , गुडगाँव , २९ अगस्त २०१०……..