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दिन में बेकार ना अब पहर जायेंगे ,
प्यार की धूप में वो सवंर जायेंगे !

मुझको आँखों में अपनी जगह दीजिये ,
रात जगने के ये दिन गुज़र जायेंगे !

ग़लतियों की ना ख़ुद को सज़ा दीजिये ,
दिल के मौसम अभी से सुधर जायेंगे !

मेरी साँसों को अपना बना लीजिये ,
ख़ुशबुओं से यूँ बचकर किधर जायेंगे !

मेरे सपनों को दिल में बसा लीजिये ,
इस फ़लक पे सितारे ही भर जायेंगे !

रवि ; मुम्बई : १७ जून २०१३