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मेरे महबूब , ज़ुल्फ़ों की , मुझको हवा दे दे ,
मेरे इश्क़ की , मुझको तू , कोई दवा दे दे !

तरसाया तूने , बरसों मुझे , इश्क़ की ख़ातिर ,
अब खु़़़दा , मुझको भी , ऐसी अदा दे दे !

जो हुआ घायल , नज़र से , पहली बार तेरी ,
दिल उसी का , होगा यहाँ , ये क़ायदा दे दे !

कुछ भी नहीं , रिश्ता तेरा , मेरी मुहब्बत से ,
कुछ ना सही , थोड़ी सी , मुझको जफ़ा दे दे !

तेरी सूरत रहे , मरके भी , आँखों में मेरी ,
ऐ ख़ुदा , मुझको तू , ऐसी वफ़ा दे दे !

रवि ; दिल्ली : १७ अगस्त २०१३