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ये उम्र लम्हों में , सिमट जाये , तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी , सँवर जाये , तो क़रार आये !

रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये !

दिल धड़कता है , तेरी याद में , हर लम्हा मेरा ,
उम्र भर यूँ ही , गुज़र जाये , तो क़रार आये !

मय का मंज़र हो , और जाम हो , लबों पे मेरे ,
और जी पीने से , मुकर जाये , तो क़रार आये !

आसमां छू के , यहाँ बरसी , ये घटायें अकसर ,
कभी आसमां भी , बरस जाये , तो क़रार आये !

रवि ; दिल्ली : २८ जून २०१४