ज़िन्दगी का अजब , हो उठा है ये सिलसिला ;
जिससे है की वफ़ा , दर्द उसी से है मिला !

ना की थी ये वफ़ा , किसी भी उम्मीद से ;
इसीलिए किसी बात का , हमें ना है गिला !

तुम सोचते होगे , कि मुझे तुमने है छोड़ा ;
पर मैं ये सोचता हूँ , कि तुमको ना मैं मिला !

हम तो हैं ऐसे , और ऐसे ही हम रहेंगे ;
चाहे हों हम अकेले , या साथ फिर है काफिला !

अपने मैं उस खुदा का , करूँ कैसे यहाँ शुक्रिया ,
मुझसे कहीं अच्छा , मेरा दिल मुझको है मिला !

यादों को तेरी दिल में , मैने रखा संभालकर है ;
चाहे रहा हो जितना , ख्यालों का मेरे ज़लज़ला !

यहाँ उम्मीद से बेहतर , है निकला मेरा जूनून ;
मेरी आरज़ू को उसने , ज़िन्दा किया बिना सिला !

रवि ; अहमदाबाद : १३ दिसंबर २०११

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Zindagi ka ajab , ho utha hai silsila ;
Jisse ki wafa , dard usi se hai mila !

Na ki thi wafa , hamne kisi umeed se ;
Isiliye kisi baat ka , na hai hamen gila !

Tum sochte hoge , ki choda hai tumne muijhe ;
Main ye sochta hun , ki main tumhe nahin mila !

Ab hum to hain aise , aur aise hi rahenge ;
Chahe hon hum akele , ya ho saath kafila !

Kaise karun shulriya , main apne us khuda ka ;
Kyonki Mujhse achchha , mujhe mera dil mila !

Teri yadon ko dil mein , rakha hai sambhalkar ;
Chahe raha ho jitna , khayalon ka zalzala !

Umeed se behtar , nikla hai mera junoon ;
usne aarzoo ko , zinda rakha bina sila !

Ravi ; Ahmedabad : 13 December 2011