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दिल की धड़कन भी है , दिल भी है तनहाई भी ,
आज बिछड़े हैं हम , इश्क भी है रुसवाई भी !

ऐसा लगता है शायद , खुदा की यही मर्जी है ,
बात मानी है हमने , और उन्हें समझाई भी !

दूरियां प्यार में , इतनी कभी नहीं देखीं ,
बात लगती है ये , कभी अपनी तो परायी भी !

ढूँढता हूँ तो मैं , खुद को भी नहीं पाता ,
खोयी है जिंदगी , और खोई है परछाईं भी !

फ़ासला सांसो का , इतना कभी नहीं होता ,
ना सुने आदमी , ना सुन सके खुदाई भी !

आज जागा हूँ तो ़ , इस बात पे हैरां हूँ ,
लिपता हूँ खुद से और , देता हूँ मैं बधाई भी !

जिंदगी ख़्वाब की , बातें ही बस नहीं होती ,
होती है पलकों के , नीचे कहीं रुलाई भी !

तू मेरा साज़ थी , और तू ही मेरी सरगम भी ,
पर ना सुनी बात तूने , ना बात कुछ सुनाई भी !

जाऊँगा बात मैं , अपनी बता के दुनिया को ,
ताकि महसूस करें , वो जान की जुदाई भी !

दिल की धड़कन भी है…..

रवि शर्मा
मुन्द्रा , गुजरात ; ११ जून २०११…