1069218_10200894768925810_1038202116_n

ज़िन्दगी की बात थी , तो ज़िन्दगी में खो गये ,
मैं भी उनका हो गया , और वो भी मेरे हो गये !

कल वहाँ मशहूर थे , तो भूले वो इन्सानियत ,
आज जब नीचे गिरे , तो सब किनारे हो गये !

लफ़्ज ही पहचान है , इन्सानों की इस भीड़ में ,
मैं हुआ जब लफ़्ज का , तो लफ़्ज मेरे हो गये !

आदमी कमज़ोर है बस , ढूँढता एक आसरा ,
बात जब दिल पे लगी , तो मन्दिरों के हो गये !

सड़कों पे रहता ख़ुदा , उन ग़रीबों की भूख में ,
उनके दामन भर दिये , तो तुम ख़ुदा के हो गये !!

रवि ; दिल्ली : २१ जुलाई २०१३