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ख़ुशबू आई है , हवाओं में , बहारों की तरह ,
जब से पाया तुझे , ख़्वाब में , यारों की तरह !

मुझको जीना है , तेरे प्यार में , बाहों में तेरी ,
नहीं मरना मुझे , गुमनाम , बीमारों की तरह !

तू मेरी आँखों में , खिलती है , गुलशन की तरह ,
और तुझे चाहूँ , दिलकश मैं , नज़ारों की तरह !

तुझको माना है , हमेशा इक , अल्हड़ सी नदी ,
और तेरी चाह में , ठहरा हूँ , किनारों की तरह !

अब तो आजा कभी , धीरे से तू , पहलू में मेरे ,
या मुझे भर ले तू , बाहों में , सितारों की तरह !

रवि ; दिल्ली : १८ दिसम्बर २०१३